(DJ)
नौसेना के कमांडरों की चार दिवसीय कांफ्रेंस में पहुंची रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हिंद महासागर में घुसपैठ बनाने के लिए चीन तेजी से हाथ-पैर मार रहा है। नौसेना को किसी भी खतरे से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
-नौसेना के कमांडरों की कांफ्रेंस में पहुंची रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री का कहना था कि जिन हेलीकॉफ्टरों की जरूरत नौ सेना को है, सरकार उसके लिए गंभीरता से विचार कर रही है। कमांडरों का हौसला बढ़ाने के लिए उन्होंने कहा कि खाड़ी में जिस तरह से नौसेना समुद्री डाकुओं से निपट रही है वह तारीफ के काबिल है, लेकिन अब जरूरतें बढऩे वाली हैं। चीन की महात्वाकांक्षा लगातार बढ़ती जा रही है। उसने अपने लड़ाकू जहाज व पनडुब्बी हिंद महासागर में तैनात कर दिए हैं। दक्षिण चीन सागर जैसे हालात वह यहां पर भी बनाने की कोशिश में है। उनका कहना था कि नौसेना को हमेशा युद्ध के लिए खुद को तैयार करना होगा।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को कांफ्रेंस के दौरान नौसेना के शीर्ष कमांडरों ने हिंद महासागर में युद्ध संबंधी रणनीति को अंतिम रूप दिया था। इसके तहत लड़ाकू जहाजों की संवेदन शील क्षेत्रों में तैनाती करने की गई है। नौसेना अभी तक समुद्री डाकुओं के अतिरिक्त मानवाधिकार के काम के लिए तैनात की जाती रही है, लेकिन अब रणनीतिकारों का मानना है कि डोकलाम विवाद के बाद से जरूरी है कि हमेशा अलर्ट रहा जाए। चीन कब कहां पर आंख तरेरने लगे? फिलहाल नौसेना को ऐसे हेलीकॉफ्टरों के साथ बारूदी सुरंग नष्ट करने वाले जहाज की जरूरत है। भारत के पास अभी ऐसा जो जहाज है वह रिटायर्ड होने के कगार पर है। इसके अतिरिक्त नौसेना के पास मेंटीनेंस की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।