(D.J)
रूस-यूक्रेन में युद्ध से कच्चे तेल की कीमत में लगने वाली आग को सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती से बुझा सकती है। पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार द्वारा लिए जाने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती को लेकर वित्त मंत्रालय में मंथन शुरू हो गया है। युद्ध की वजह से कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत गत 7 साल में पहली बार 100 डालर प्रति बैरल के पार पहुंच गई। इसका सीधा असर देश की पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों की वित्तीय सेहत पर दिख सकता है। कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत बढ़ने के बावजूद पिछले कई सप्ताह से पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत नहीं बढ़ी है। कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां युद्ध की स्थिति जारी रहने पर कच्चे तेल की कीमत 120 डालर प्रति बैरल तक जाने का अनुमान जाहिर कर चुकी हैं।
सूत्रों के मुताबिक पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियां मौजूदा परिस्थितियों में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कम से कम 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करना चाहती हैं। इससे खुदरा महंगाई दर बढ़ेगी, जो पहले ही जनवरी में 6 प्रतिशत को पार कर चुकी है। ऐसे में वित्त मंत्रालय पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने पर विचार कर रहा है। बीते साल दीपावली से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेट्रोल के उत्पाद शुल्क में 5 रुपये और डीजल में 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की थी। फिलहाल केंद्र सरकार पेट्रोल पर 27.90 रुपये और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क वसूलती है। दो दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमत निश्चित रूप से सरकार के लिए चुनौती है और सरकार पूरी स्थिति पर नजर रख रही है।