(Hindustan)
किसानों को आय को बढ़ने के लिए केंद्र सरकार कृषि में मूल्यवर्धन को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना तैयार कर रही है। पिछले साल के अंत में कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद भी इस क्षेत्र का विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार यह योजना बना रही है। अधिकारियों के हवाले से ईटी ने बताया है की पूरी योजना का मकसद वैल्यू में बढ़ोतरी और बैकवर्ड लिंकेज को प्रोत्साहित करना है। सरकारी अधिकारी का कहना है, “पूरा विचार मूल्यवर्धन और बैकवर्ड लिंकेज को बढ़ावा देने के लिए निवेश के लिए सहायता प्रदान करना है।”
विवरण 1 फरवरी के बजट में घोषित होने की उम्मीद है। अधिकारी के मुताबिक, इसमें भारतीय किसानों को अपने उत्पादों के लिए बाजार बनाने में मदद करने के लिए निर्यात इंसेंटिव भी शामिल होगा। विविध कृषि उत्पादों को शामिल कर निर्यात के लिए अतिरिक्त परिवहन, मार्केटिंग और ब्रांडिंग प्रोत्साहन दिए जाने की संभावना है। एक नए समर्पित मंत्रालय के साथ, कोआपरेटिव सेगेमेंट को मजबूत करने का एजेंडा भी इसमें है। सरकार प्रासंगिक भंडारण और बुनियादी ढांचे के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए फ़ूड प्रोसेसिंग में 10,900 करोड़ रुपए की प्रोडक्शन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना पर भी विचार कर रही है।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) वित्त वर्ष 2010 में 2.24 लाख करोड़ था, कुल योगदान में यह 1.7% है। फ़ूड प्रोसेसिंग सेगमेंट कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के जीवीए में 11.38% का योगदान करती है। सरकार चाहती है कि इस हिस्सेदारी को बढ़ाया जाए। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015-16 में 2022-23 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन महामारी ने इस लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल बना दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए नौ उपायों की घोषणा की थी जिसमें कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर ₹16.5 लाख करोड़ करना शामिल था।