(Hindustan)
उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव की घड़ी नजदीक आते देख सभी राजनीतिक दल जरूरत से ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं। हाल ही में यूपी के उपचुनाव में दो सीटों पर हार का स्वाद चखने वाली भाजपा विरोधियों पर भारी दिख रही है। भाजपा का पहला पैंतरा ही विरोधी दलों पर भारी पड़ा है। हम बात कर रहे हैं नरेश अग्रवाल की। नरेश अग्रवाल और उनके बेटे नितिन अग्रवाल ने हाल ही में भाजपा का दामन थाम लिया है।
नरेश अग्रवाल का भाजपा में शामिल होना सपा से ज्यादा बसपा के लिए घातक साबित हो सकता है। बसपा को इस चुनाव में जीत के लिए 37 विधायकों की जरूरत है। सपा ने बसपा को 10 विधायकों का समर्थन देने का वादा किया है। जो कि बसपा की जीत के लिए नाकाफी है। कांग्रेस के सात तथा अजित सिंह की पार्टी के एक विधायक के समर्थन से बसपा का राज्यसभा प्रत्याशी जीत हासिल कर सकता है। ऐसे में सपा के एक भी विधायक ने क्रॉस वोटिंग की तो मायावती की जीत मुश्किल में पड़ जाएगी।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा राज्यसभा चुनाव से पहले बुलाई गई बैठक में सात विधायक नहीं पहुंचे। यह बात अलग है कि इन विधायकों के न आने के कारण अलग-अलग बताए गए हैं। हालांकि, सपा ने दावा किया है कि उनके विधायक एकजुट हैं और पार्टी व्हिप के आधार पर राज्यसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी जया बच्चन व बसपा प्रत्याशी भीमराव अम्बेडकर को वोट करेंगे।
समाजवादी पार्टी मुख्यालय पर बुधवार को विधायकों की बैठक बुलाई गई थी। अखिलेश खुद इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। सपा के कुल 47 विधायक हैं। इसमें से हरदोई के नितिन अग्रवाल भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इसके चलते वे बैठक में नहीं आए। इसके अलावा शिकोहाबाद के विधायक डॉ. हरिओम जेल में बंद होने की वजह से बैठक में शामिल नहीं हो सके।