(DJ)
नए साल का आगाज हो चुका है। नए साल की शुरुआत करने का सबसे अच्छा तरीका बीते वर्ष की घटनाओं से सबक लेना है। चूंकि हम सभी का जीवन देश की अर्थव्यवस्था में होने वाली उथल-पुथल से सीधे तौर पर जुड़ा है, इसलिए बीते वर्ष में अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाली घटनाओं पर गौर करना लाजिमी है। 2017 की शुरुआत हुई तो हमारी अर्थव्यवस्था नोटबंदी के दौर से गुजर रही थी। भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में यह एक अनुपम घटना थी।
कड़े फैसलों का सकारात्मक असर
विभिन्न विश्लेषकों ने इसे अलग-अलग नजरिये से देखा। कुछ बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के चलते लोगों को बैंकों और एटीएम की लाइन में लगकर अपना ही धन पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर सरकार की अच्छी मंशा को देश की जनता ने सराहा। अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को तात्कालिक चोट भी पहुंची, लेकिन देश जल्द ही इससे उबरने में भी सफल रहा। वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में 5.7 फीसद के स्तर तक पहुंचने के बाद दूसरी तिमाही में एक बार फिर छलांग लगाते हुए वृद्धि दर 6.3 फीसद तक पहुंच गई।