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पीएनबी घोटाले के बाद रिजर्व बैंक ने बड़ा कदम उठाते हुए बैंकों की ओर से जारी किए जाने वाले साख-पत्र यानी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) और लेटर ऑफ कंफर्ट (एलओसी) पर रोक लगा दी है। इन दोनों का इस्तेमाल निर्यातक विदेशों से कच्चा माल मंगवाने के लिए करते हैं। यह विदेश में स्थित दूसरे बैंकों को भारतीय बैंक की तरफ से भारतीय खरीदार के लिए दी गई वित्तीय गारंटी होती है। नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और उनकी कंपनियों ने पीएनबी की तरफ से गलत तरीके से एलओयू हासिल करके ही उसे 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाया है।
आरबीआइ ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून, 1999 के तहत अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि अधिकृत डीलरों को भारत में आयात के लिए एलओयू व एलओसी जारी करने पर रोक लगाई जा रही है। लेटर ऑफ क्रेडिट और बैंक गारंटी देने की सुविधा जारी रहेगी। सभी बैंक इस बारे में अपने अधिकृत डीलरों को सूचना दें।
आमतौर पर विदेश स्थित बैंक आयातक देश के बैंकों की तरफ से जारी एलओयू के आधार पर धनराशि उपलब्ध कराते हैं, जिसका इस्तेमाल कारोबारी भुगतान के लिए किया जाता है। एलओयू और एलओसी को खास तौर पर उन निर्यातकों के लिए मुफीद माना जाता है, जिन्हें तेजी से निर्यात के ऑर्डर पूरे करने होते हैं। दोनों प्रक्रियाओं के तहत बैंकों से वित्त सुविधा हासिल करना आसान होता है और इसे दुनिया भर में मान्यता भी हासिल है। आरबीआइ ने पीएनबी घोटाले के बाद उच्चस्तरीय समिति गठित की है, जिसकी सिफारिशें आने से पहले ही रिजर्व बैंक ने एलओयू पर रोक का निर्णय लिया है।