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भारत और चीन के रिश्ते आने वाले सालों में कैसे रहेंगे, इसका खाका खींचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को चीन जा रहे हैं। पिछले साल दोकलाम में युद्ध के शुरुआती दौर तक पहुंच जाने वाले भारत-चीन के संबंधों में आए इस बदलाव से दोनों देशों के बीच एक नई शुरुआत की बयार बहती दिखाई दे रही है। चीन ने पीएम मोदी के लिए किस तरह रेड कारपेट बिछाया है, इसका अंदाजा पहली बार सभी प्रोटोकॉल तोड़कर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के किसी देश के प्रमुख के साथ बीजिंग से बाहर द्विपक्षीय वार्ता करने से लगाया जा सकता है। माना जा रहा है कि ये अनौपचारिक शिखर वार्ता दोनों देशों के आगामी एक सदी तक के संबंधों को तय करने की नींव का पत्थर साबित हो सकती है।
चीनी मीडिया की भी नजरें प्रधानमंत्री मोदी के दौरे पर टिकी हुई हैं। वहां का मीडिया इस दौरे से जुड़ी खबरों को अपने पहले पेज पर तवज्जो दे रहा है और इसकी तुलना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के वर्ष 1988 के दौरे से की जा रही है। साल 1988 में राजीव गांधी की मेजबानी करने वाले पूर्व नेता देंग जिआयोपिंग के अनुवादक रह चुके गाओ झिकाई ने कहा, साल 1988 में राजीव गांधी की यात्रा ने दोनों देशों के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ को तोड़ा था तो प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस शिखर वार्ता से भारत और चीन के बीच दोस्ती काफी मजबूत होगी।