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सोने और कीमती धातुओं के आयात करने वाले बैंकों को जीएसटी के तहत 3 फीसद कर का भुगतान करना होगा। यह जानकारी सरकार ने दी है। अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के माध्यम से) में से जवाहरात और आभूषणों पर जीएसटी के मुद्दों को स्पष्ट करते हुए केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा कि बैंकों ने पहले कीमती धातुओं के आयात पर कोई वैट नहीं चुकाया है, उन्होंने सिर्फ कस्टम ड्यूटी चुकाई है।
हालांकि जीएसटी के अंतर्गत, “बेसिक कस्टम ड्यूटी के अलावा सभी आयातित धातुओं के आयात पर 3 फीसद एकीकृत जीएसटी देय है। IGST का भुगतान बैंकों की ओर से इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में वापस लिया जा सकता है।” इसमें यह भी कहा गया है कि ऐसे आयात पर बैंक भी आईजीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे।
हालांकि यह उस विदेशी आपूर्तिकर्ता पर लागू नहीं होगा जिसमें ओनरशिप गोल्ड एवं सिल्वर की आवाजाही पर ही अधिकार प्राप्त होती है। अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का जवाब देते हुए विभाग ने कहा, “ओनरशिप ऐसा तत्व नहीं है जो तय करे कि आयात हुआ है या नहीं। बैंक, पंजीकृत संस्थाएं होने के नाते इस तरह के आयात पर आईजीएसटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे। लेकिन ये विदेशी इकाइयों पर लागू नहीं होगा जब तक कि वो आयात को प्रभावित न कर रहे हों।”