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विजय माल्या को भारत सरकार की अर्जी के आधार पर लंदन में गिरफ्तार किया गया और उन्हें तत्काल जमानत भी मिल गई. ब्रिटिश कानूनों को देखते हुए ऐसा लगता है कि माल्या को भारत लाना अभी दूर की कौड़ी है. भारत ने ब्रिटेन के साथ प्रत्यर्पण संधि के अनुरूप आठ फरवरी को एक नोट वर्बेल के जरिए माल्या के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक आग्रह किया था.
जानकारों के मुताबिक प्रत्यपर्ण के लिए देश में तीन तरह के रास्ते हैं और वो इंडियन पीनल कोड, क्रिमिनल प्रोसिजर कोड और एंविडस एक्ट के तहत हैं. लेकिन सरकार अगर जोर लगाएगी तभी प्रत्यर्पण में सफलता मिलेगी. भारत सरकार के लिए ब्रिटिश सरकार के साथ बातचीत का भी रास्ता खुला है.
भारत सरकार ने ब्रिटेन को अर्जी सौंपते हुए कहा था कि माल्या के खिलाफ उसके पास एक जायज मामला है. सरकार ने उल्लेख किया था कि यदि प्रत्यर्पण आग्रह का सम्मान किया जाता है तो यह हमारी चिंताओं के प्रति ब्रिटेन की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करेगा. इस साल के शुरू में एक सीबीआई अदालत ने 720 करोड़ रुपये के आईडीबीआई बैंक लोन डिफॉल्ट मामले में माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.