(AU)
चुनावी घोषणापत्रों में दिए जाने वाले लोकलुभावन वादों को लेकर बहस अब गंभीर होती जा रही है। हाल ही में चुनाव आयोग ने भी इस पर सवाल उठाया था उसके बाद अब देश के मुख्य न्यायाधीश ने भी इस पर सवाल खड़ा कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश ने इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों को भी आईना दिखाया है।
मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा कि राजनीतिक दल हमेशा अपना वादा पूरा नहीं करते हैं। उसके घोषणा पत्र केवल कागज के टुकड़े साबित होते हैं, इसके लिए राजनीतिक दलों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। ‘आर्थिक सुधारों के संदर्भ के साथ चुनावी मुद्दे’ नामक सेमिनार में सीजेआई ने राजनीतिक दलों की इस प्रवृत्ति पर अपनी चिंता जताई।