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एक्जिट पोल के आधार पर मैंने लिखा था कि ‘ब्रांड मोदी’ की चमक फीकी पड़ती दिख रही है। मैंने जब यह लिखा था, उस समय तक चाणक्य और एकाध अन्य एजेंसी के एक्जिट पोल नहीं आए थे, जिनमें उत्तर प्रदेश में भाजपा को 285 या 250 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था।नतीजों ने एक्जिट पोल को काफी हद तक गलत साबित कर दिया है। किसी भी एक्जिट पोल ने भाजपा को तीन सौ सीटें नहीं दिखाई थी और न ही किसी ने सपा-कांग्रेस गठबंधन को सौ से नीचे या बसपा को पचास से कम सीटें दिखाई थीं। नतीजे भाजपा के लिए भी चौंकाने वाले हैं, क्योंकि पार्टी के कुछके नेताओं को छोड़ दिया जाए, तो किसी ने भी तीन सौ सीटों का अनुमान नहीं जताया था।
नतीजों ने दिखाया है कि भारतीय राजनीति में आज नरेंद्र मोदी सबसे बड़ा ब्रांड हैं और उनकी चमक बरकरार है। उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली ये जीत मई, 2014 में लोकसभा चुनाव में उसे इस सूबे में मिली सीटों जैसी है।नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने यह चुनाव जिस तरह से लड़ा, उसकी काट विपक्ष ढूंढ नहीं सका। इस चुनाव के बाद कुछ महीने में राज्यसभा का गणित भी बदल जाएगा। इसके बाद शायद भाजपा को विपक्षी दलों की मदद की जरूरत भी न पड़े। विपक्ष की इन चुनावों में जो हालत हुई है, उसके बाद भाजपा और मोदी के समक्ष कोई बड़ी चुनौती भी नहीं होगी। आप इसे लहर कहें, सुनामी कहें या आंधी, मगर हकीकत यही है कि मोदी ने देश की राजनीति में इतनी बड़ी लकीर खींच दी है कि उसे 2019 में विपक्ष का लांघ पाना मुश्किल है।