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देश के ज्यादातर राज्यों की वित्तीय सेहत मजबूत नहीं है। 11 राज्य बीते 8 साल से लगातार राजस्व घाटे का सामना कर रहे हैं। यानी उनके पास वेतन, पेंशन और ब्याज चुकाने जैसे कामों के लिए भी पर्याप्त राजस्व इकट्ठा नहीं हो पा रहा है। ऐसे हालात में चुनावी मौसम में की जाने वाली लोकलुभावन योजनाएं राज्यों का वित्तीय हाजमा और बिगाड़ सकती हैं।
राज्यों के वित्तीय हालात जानने के लिए जागरण प्राइम ने 5 राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के बजट का जायजा लिया। इसमें मध्य प्रदेश के अलावा सभी चार राज्य राजस्व घाटे में थे। इन चारों राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद ( जीएसडीपी) की तुलना में राजस्व राष्ट्रीय औसत से कम था। राजस्व घाटे का मतलब है कि किसी राज्य की राजस्व से आय उसके वेतन, पेंशन, सब्सिडी और ब्याज भुगतान जैसे खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।