(NDTV)
अर्थशास्त्रियों का कहना है बढ़ती कीमतें, उपभोक्ता खर्च और निवेश पर असर से भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) और कमजोर होने की संभावना है. क्योंकि केंद्रीय बैंक को आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचाए बिना मुद्रास्फीति (Inflation) पर काबू पाने के लिए एक संतुलित संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जनवरी-मार्च तिमाही में संभवत: एक साल पहले की तुलना में 4.0% बढ़ी है, पिछली तिमाही में 5.4% की वृद्धि के बाद, यह एक साल में सबसे धीमी गति होगी.
46 अर्थशास्त्रियों के 23-26 मई के सर्वेक्षण में डेटा के लिए पूर्वानुमान, मंगलवार को शाम 5:30 बजे, 2.8% से 5.5% तक था. खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि से अर्थव्यवस्था की निकट अवधि की संभावनाओं को काला कर दिया गया है, जो अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.8% पर पहुंच गई थी. यूक्रेन संकट के बाद ऊर्जा और कमोडिटी की कीमतों में उछाल भी आर्थिक गतिविधियों पर दबाव डाल रहा है.