(D.J)
सीएम पुष्कर सिंह धामी पर प्रदेश की 70 सीटों जिम्मेदारी है। वह सभी सीटों पर जनसभा, रोड शो और डोर टू डोर कैंपेन के लिए पहुंच रहे हैं। बीच में जब भी उन्हें समय मिल रहा है तो अपने विधानसभा क्षेत्र खटीमा में भी आ रहे हैं। सीएम ने भी जनता को अपनी व्यस्तता बताते हुए कहा कि मेरा प्रचार यहां का प्रत्येक व्यक्ति करेगा। मगर सीएम के इस लक्ष्य में उनकी पत्नी गीता धामी बराबर की भागीदार बनी हुई हैं। वह कहती हैं कि बात सिर्फ खटीमा विधानसभा क्षेत्र में प्रचार की नहीं है बल्कि प्रदेश में फिर से भाजपा की सरकार लाने की है। सीएम पुष्कर सिंह धामी की व्यवस्ता देख पत्नी गीता धामी ने क्षेत्र में राजनीति की कमान पूरी तरह संभाल रखी है। उनके प्रचार का तरीका उनके कम अनुभव का एहसास नहीं होने दे रहा है। मतदाताओं से आत्मीयता से मिलना, उम्रदराज मतदाताओं के पैर छूना, महिलाओं को गले लगाकर या फिर हाथ जोड़ अभिभादन करना, युवाओं को भैया कहते हुए सहयोग की अपील करना क्षेत्र में उनकी ख्याति केा बढ़ा रहा है।
वह सुबह चार बजे वह उठ जाती हैं। स्नान-ध्यान व योग करने के साथ ही मवेशियों के चारा-पानी की व्यवस्था देख लेती हैं। फिर पार्टी के पदाधिकारियों से बात कर सभी के प्रचार का रूट प्लान आठ बजे तक तय हो जाता है। उसके बाद वह क्षेत्र में निकल जाती है। जिस बात को सीएम तक पहुंचाना है, उसे तुरंत पहुंचाती हैं। गीता धामी एक पत्नी, मां और बहू होने का अर्थ बखूबी समझती हैं। उनकी दिनचर्या सुबह चार बजे से शुरू हो रही है। बताती हैं कि सुबह छह बजे तक घर पर समर्थकों का जमावड़ा लग जाता है। क्षेत्र में निकलने की जल्दबाजी और अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने की कोशिश रहती है। ऐसे में कई दिन तो दोनों बच्चे सोए ही रहते हैं। किसी दिन तक जब रात में घर वापसी होती है तो तब भी बच्चे सोए ही मिलते हैं। एक मां की जगह पर खुद को रखकर देखती हूं तो बच्चों से दूर रहने का दुख होता है। लेकिन जब पूरे उत्तराखंड और अपने पहाड़ के बच्चों के हित के बारे में सोचती हूं तो अपना दुख कुछ भी नहीं लगता।