(A.U)
देश में कोरोना महामारी के दो साल पूरे हो गए हैं। इन दो सालों में टीका और सतर्कता ही इस मर्ज से निपटने के दो हथियार मिले हैं। 30 जनवरी 2020 को भारत में पहली कोरोना संक्रमित मरीज मिली थी। तब से लेकर अब तक देश में चार करोड़ से ज्यादा आबादी संक्रमित हुई है। जबकि इससे कहीं अधिक अनजान आबादी चपेट में आकर स्वस्थ्य भी हुई है। इस बीच 4.94 लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। बीते दो वर्षों में कोरोना वायरस के अब तक 400 से ज्यादा म्यूटेशन की पहचान देश में हो चुकी है। अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, एवाई, ओमिक्रॉन जैसे वैरिएंट्स ने बड़ी आबादी को खतरे में डाला है। सरकारी आकंड़ों की मानें तो 1.70 लाख सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग में से 71,428 सैंपल में कोरोना वायरस के गंभीर और चिंताजनक वैरिएंट मिल चुके हैं। 71,428 में से 67,700 लोग समुदाय से जुड़े हैं जो किसी विदेश यात्रा पर नहीं गए थे। 41,220 सैंपल डेल्टा और 17,114 में एवाई श्रेणी से जुड़े वायरस और वैरिएंट मिल चुके हैं। इनके अलावा 10 हजार से ज्यादा सैंपल में ओमिक्रॉन भी मिला है।
भारत में इस समय कोरोना वायरस के सबसे गंभीर दोनों वैरिएंट मौजूद हैं। इनमें से एक डेल्टा है जिसकी वजह से 24 फीसदी से ज्यादा मरीज अस्पतालों में भर्ती करने पड़े हैं। जबकि सबसे तेजी से संक्रमित करने वाला ओमिक्रॉन वैरिएंट है जिसकी आक्रमकता वैज्ञानिकों ने 80 फीसदी तक पाई है। महामारी विशेषज्ञ बीएचयू के डॉ. सुनीत कुमार सिंह का कहना है कि महामारी का अंत अभी भी सभी के लिए सवाल बना हुआ है। बीते दो साल में रेमडेसिविर, आइवरमेक्टिन, एससीक्यू, 2डीजी, फेविपिराविर, टोसिलिजुमैब, विटामिन, जिंकोविट इत्यादि दवाओं को लेकर अलग-अलग दावे सामने आए लेकिन असर किसी का पता नहीं चला। मंत्रालय के अनुसार, 20 से 26 जनवरी के बीच देश के 407 जिले रेड जोन में शामिल थे लेकिन 22 से 28 जनवरी के बीच पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के करीब 19 जिलों में संक्रमण कम होने के बाद इन्हें रेड जोन से बाहर कर दिया गया है। केरल में अभी भी संक्रमण दर पूरे देश में सबसे अधिका है। यहां बीते एक सप्ताह में 46 फीसदी से अधिक सैंपल कोरोना संक्रमित मिले हैं। केरल के अलावा पुडुचेरी, गोवा और आंध्र प्रदेश में संक्रमण दर 30 फीसदी से अधिक दर्ज की गई है।