(DJ)
महाराष्ट्र में भाजपा अपनी सहयोगी शिवसेना को किसी भी सूरत में मुख्यमंत्री का पद नहीं देगी। पार्टी शिवसेना को अधिक से अधिक डिप्टी सीएम और मंत्रिमंडल में 40 फीसदी हिस्सेदारी देने पर ही सहमत होगी। अगर शिवसेना सीएम बनाने की शर्त और 50-50 फार्मूले पर अड़ी रही तो राज्य में नई सरकार के गठन में देरी होना तय है। दोनों दलों के बीच आज यानी बुधवार को नई सरकार के गठन पर बातचीत हो सकती है। हालांकि यह तय नहीं है कि इस दौरान शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सामने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह होंगे या कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा।
दरअसल विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद शिवसेना सरकार के गठन में 50-50 (कार्यकाल का आधा-आधा बंटवारा) फार्मूले को लागू कराने पर अड़ी हुई है। शिवसेना चाहती है कि इस फार्मूले के तहत पहला कार्यकाल उसके हिस्से आए और उसे अपना सीएम बनाने का मौका मिले। इस संदर्भ में तीखी बयानबाजी के बावजूद भाजपा अपनी सहयोगी को ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं है। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि शिवसेना दबाव की राजनीति के तहत डिप्टी सीएम के साथ आधे मंत्रिमंडल में नेतृत्व और कुछ मंत्रालय चाहती है। क्योंकि भाजपा के इतर शिवसेना का एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का रास्ता इतना भी आसान नहीं है।