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रुपये में कमजोरी के बाद अब घरेलू गैस की कीमतों में बढ़ोतरी के सरकार के फैसले से एक ओर जहां सीएनजी, पीएनजी व घरेलू रसोई गैस एलपीजी की कीमतें बढ़नी लगभग तय है, वहीं यूरिया और बिजली उत्पादन की लागत में भी बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने और रुपये में आई कमजोरी के चलते भी कंपनियों पर कीमतें बढ़ाने का दबाव है। ऐसे में एक अक्तूबर से उपभोक्ताओं को वाहनों और घरेलू प्रयोग में लाई जाने वाली गैस के ज्यादा दाम चुकाने पड़ सकते हैं।
प्राकृतिक गैस की कीमतों में प्रत्येक छह माह में संशोधन किया जाता है। इनकी कीमतों में बढ़ोत्तरी की वजह आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई वृद्धि रहती है। विशेषज्ञों के मुताबिक मौजूदा समय में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के दामों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इसके अलावा रुपया बीते कई माह से लगातार गिर रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में कम से कम 14 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है।
घरेलू गैस कीमतों में हुई बढ़ोतरी का असर वाहनों के प्रयोग में लाई जाने वाली सीएनजी और घरों में सीधे पाइप के माध्यम से पहुंचाई जाने वाली पीएनजी की कीमतों पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर, केंद्र सरकार यह भी स्पष्ट कर चुकी है कि वह फिलहाल उत्पाद शुल्क में कोई कटौती नहीं करने जा रही है। ऐसे में बढ़ी हुई कीमतों का असर उपभोक्ताओं के वाहनों और घरों में उपयोग होने वाले गैस के बिल पर पड़ेगा।