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मुस्लिम दाउदी बोहरा समुदाय की बच्चियों के साथ होने वाले फिमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (खतना) की परंपरा को गलत बताते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि इससे बच्चियों को जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई नहीं हो सकती। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष सरकार ने कहा कि जिस तरह से सती और देवदासी प्रथा को खत्म को खत्म किया गया है, उसी तरह इस प्रथा को भी खत्म किया जाए। इस प्रथा को संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत बताया।
वहीं दाऊदी बोहरा समुदाय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस प्रथा का बचाव करते हुए कहा कि यह कहना कि खतना को अस्वास्थ्यकर बताना गलत है।उन्होंने यह भी कहा कि इन दिनों विशेषज्ञ डॉक्टर एफजीएम को अंजाम देते हैं। मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी।