(ABP News)
एनटीपीसी और इंडियन ऑयल समेत 7 बड़ी सरकारी कंपनियों में सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया शुरु की है. मौजूदा भाव पर इन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने से सरकार को 35 हजार करोड़ रुपये की कमाई हो सकती है.
वित्त वर्ष शुरु हुए अभी मुश्किल से एक पखवाड़े का वक्त गुजरा है, लेकिन उसके साथ ही सरकार ने सरकारी खजाने के घाटे यानी फिस्कल डेफिसिट को बजटीय लक्ष्य में सीमित करने की कवायद तेज कर दी है. इस साल का लक्ष्य 3.2 फीसदी (जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद का) रखा गया है. सरकार ने इस बजट में सरकारी कंपनियों में अपनी कुछ हिस्सेदारी यानी विनिवेश के जरिए 45,500 करोड़ रुपये, रणनीतिक बिक्री यानी सरकारी कंपनियों का मालिकाना हक बेचकर 15 हजार करोड़ रुपये और बीमा कंपनियों में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर 11 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. यानी कुल मिलाकर 72,500 करोड़ रुपये. बीते साल सरकार को विनिवेश के जरिए 46 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा मिले थे.
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि अभी ये तय नहीं कि अलग-अलग कंपनियों के शेयर कब बेचे जाएंगे. लेकिन कोशिश यही है कि जरुरी तैयारी पूरी कर ली जाए और उचित समय पर शेयर बेचे जाए. वैसे भी 7 कंपनियों के शेयर बेचने की प्रक्रिया में ओएफस (Offer for Sale through Stock Exchanges)अपनाये जाएंगे.
आम बोलचाल की भाषा में इसे नीलामी प्रक्रिया कहते हैं. पारम्परिक तरीके से आम लोगों को शेयर बेचने के बजाए इस प्रक्रिया में एक दिन में कारोबारी कार्यकाल (सुबह सवा नौ से दिन के साढ़े तीन बजे) के बीच शेयर के लिए संस्थागत और खुदरा निवेशक फ्लोर प्राइस यानी एक निचली कीमत पर या उसके ऊपर बोली लगा सकते हैं. ये पूरी प्रक्रिया ज्यादा से ज्यादा तीन-चार कार्यदिवस में पूरी हो जाती है और शेयरधारकों को शेयर भी मिल जाते हैं. सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार इस प्रक्रिया को खुलकर अपनाती है. वैसे बाजार पूंजीकरण के लिहाज से 200 बड़ी कंपनियों के लिए ही शेयर बेचने का ये विकल्प उपलब्ध है.