(Hindustan)
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से जानना चाहा कि ऐसे शहरी बेघर जिनका कोई ठिकाना ही नहीं है, उनके आधार कार्ड कैसे बन रहे हैं। जस्टिस मदन बी. लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने देशभर में शहरी बेघरों को बसेरे उपलब्ध कराने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से यह जानकारी मांगी। राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से पीठ ने सवाल किया, यदि कोई व्यक्ति बेघर है तो आधार कार्ड में उसे कैसे वर्णित किया जाता है। मेहता ने इस सवाल के जवाब में शुरू में कहा, यही संभावना है कि उनके पास आधार नहीं होगा।
इस पर पीठ ने जानना चाहा कि क्या आधार कार्ड नहीं रखने वाले ऐसे बेघर लोग भारत सरकार या उत्तर प्रदेश सरकार के लिए अस्तित्व में ही नहीं हैं और उन्हें इन्हें बसेरों में जगह नहीं मिलेगी। मेहता ने स्पष्टीकरण दिया कि यह कहना सही नहीं है कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, उनका अस्तित्व ही नहीं है। क्योंकि उनके पास मतदाता पहचान-पत्र जैसे दूसरे पहचान संबंधी कार्ड हैं, जिनमें उनका पता होता है।