‘सुप्रीम कोर्ट को एक होकर काम करना चाहिए और यही न्यायिक अनुशासन है’

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(AU)

सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी हाईकोर्ट को भूमि अधिग्रहण के मामले पर कोई अंतिम फैसला लेने से मना किया है। यह निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी के अपने उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें कहा गया है कि भूमि अधिग्रहण खत्म नहीं होगा, भले ही रकम अदालत में न जमा कराई गई हो और भूमि मालिकों को मुआवजा न मिला हो। सुनवाई के दौरान एक अहम टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि शीर्ष अदालत को एक होकर काम करना चाहिए। यही न्यायिक अनुशासन है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने देश के सभी हाईकोर्ट को भूमि अधिग्रहण के मामले पर कोई अंतिम फैसला लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ द्वारा इस अनुशासन का पालन नहीं किया गया।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने बुधवार को कहा कि वह न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ द्वारा आठ फरवरी के फैसले से सहमत नहीं हैं। न्ययमूर्ति जोसेफ ने कहा कि वह न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ के फैसले की योग्यता पर नहीं जा रहे हैं बल्कि हमारी चिंता न्यायिक अनुशासन को लेकर है। वास्तव में आठ फरवरी का फैसला साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा दिए गए फैसले के उलट है।

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