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अपने सहयोगियों के साथ मनपसंद राष्ट्रपति बनाने की दहलीज पर खड़ी भाजपा अपना पत्ता खोलने से पहले विपक्ष के रुख को पूरी तरह से भांप लेना चाहती है। पार्टी चाहती है कि इस चुनाव के बहाने एक मंच पर आने की कोशिश कर रहा विपक्ष पहले अपना उम्मीदवार तय करे। दरअसल अगर राजग एकजुट रहा तो भाजपा को मनपसंद राष्ट्रपति बनाने के लिए महज डेढ़ फीसदी (करीब 15,000) अतिरिक्त मतों का जुगाड़ करना होगा। इसके लिए पार्टी के सामने उन दलों से संपर्क साधने का विकल्प है जो कांग्रेस से परहेज की राजनीति को तरजीह देते हैं। इनमें अन्नाद्रमुक, बीजद, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस और आईएनएलडी शामिल हैं, जिनके पास 12.24 फीसदी वोट हैं।
दरअसल भाजपा चाहती है कि इस चुनाव के बहाने कांग्रेस की अगुवाई में एकजुट होने की कोशिश में जुटा विपक्ष अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दे। इससे भाजपा यह संदेश देने में कामयाब हो जाएगी कि विपक्ष ने सर्वसम्मत उम्मीदवार बनाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। वैसे भाजपा के रणनीतिकार शिवसेना के भावी रुख के प्रति आशंकित हैं, जिसने इस पद के लिए पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत और फिर राकांपा सुप्रीमो शरद पवार को राष्ट्रपति बनाने का सुझाव दिया। शिवसेना के पास 14,868 मत हैं। उसके साथ न आने के बाद भाजपा को 29,458 अतिरिक्त मतों का जुगाड़ करना होगा।