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संसद भवन में आयोजित विदाई समारोह में दिए गए अपने अंतिम भाषण में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी विपक्ष के साथ-साथ सरकार को भी सचेत कर गए। संसदीय कार्यवाही में व्यवधान पर जहां चिंता जता कर विपक्ष को तो बार-बार अध्यादेश का सहारा लेने पर सरकार को नसीहत दी।
संसद में चर्चा के गिरते स्तर, बहिष्कार, व्यवधान को देशवासियों के साथ अन्याय बताया और चर्चा के लिए लगातार कम होते समय पर गहरी चिंता जताई। इस दौरान उन्होंने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऊर्जा का मुरीद बताया और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपना मेंटर बताया।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान देश की गरिमा, 1.30 अरब लोगों की आत्मा और लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर संसद लोगों की अपेक्षाओं का प्रतीक है। संसद के जरिए सामाजिक, आर्थिक बदलावों की रूपरेखा बनाई जा सकती है। पहले संसद में बेहद गंभीर चर्चा होती थी। संसद उत्कृष्ट वक्ताओं से भरा था। अब व्यवधान, बहिष्कार सदन का नुकसान हो रहा है।