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संसद के दोनों सदनों में विपक्ष हंगामे के चलते सोमवार को भी कामकाज नहीं हो सका। लगातार 18 दिन से संसद में हंगामे की यही स्थिति बनी हुई है, जिसके चलते कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा नहीं हो पा रही है और वे लटके हुए हैं। राज्यसभा महज छह मिनट तक चलने के बाद स्थगित कर दी गई। वहां पर सभापति एम वेंकैया नायडू जैसे ही अपने आसन पर बैठे वैसे ही कांग्रेस, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, तेदेपा, द्रमुक और अन्ना द्रमुक के सांसद वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस और बसपा सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रहे थे। वे अनुसूचित जाति-जनजाति से संबंधित कानून में आरोपी को राहत दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विरोध जता रहे थे, जबकि तृणमूल कांग्रेस के सदस्य पंजाब नेशनल बैंक घोटाले पर विरोध जता रहे थे। तमिल पार्टियां कावेरी जल बंटवारे को लेकर नारेबाजी कर रही थीं। जबकि आंध्र प्रदेश के विपक्षी सांसद राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे थे। अंतत: सभापति नायडू ने सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया।