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राष्ट्रपति उम्मीदवर के तौर पर रामनाथ कोविंद के गैर राजनीतिक व्यक्ति नहीं होने के बावजूद मोदी सरकार के दलित कार्ड ने विपक्षी दलों को चौंका दिया है। सरकार के दांव के बाद विपक्षी दलों के सुर, ताल और रणनीति बिखर गई है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने कोविंद पर अपना समर्थन देने का साफ संकेत दिया है। बसपा ने तो कांग्रेस पर दबाव बना दिया है कि वे भी दलित उम्मीदवार खड़ा करें। कांग्रेस के सामने मीरा कुमार के रूप में दलित उम्मीदवार है। मगर उनके नाम पर सभी दलों में सहमति बनेगी इसे लेकर आशंकाये हैं।
समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश से राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित करने के लिए सरकार का धन्यवाद कर रही है। नीतीश कुमार के जनता दल युनाइटेड ने भी समर्थन के संकेत दिए हैं। अभी सिर्फ माकपा के नेतृत्व में वामदल ने विरोध किया है और अपना उम्मीदवार खड़ा करने के संकेत दिए है। जिसकी वजह से विपक्ष में दरार पड़ती नजर आ रही है। कांग्रेस ने 22 जून को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। बैठक में विपक्ष के मतभेद सामने आ सकते हैं। अभी तक माना जा रहा था कि सरकार की ओर से कोई गैर राजनीतिक व्यक्ति खड़ा करा जाता है तो विपक्ष के कुछ दल सरकार के साथ खड़े हो सकते है। मगर भाजपा और संघ की पृष्ठभूमि वाले कोविंद को लेकर भी विपक्ष में टूट पड़ गई है।