(Hindustan)
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को उम्मीद के अनुरूप प्रमुख नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा। कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमिक्रॉन को लेकर अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के इरादे से केंद्रीय बैंक ने लगातार नौवीं बार नीतिगत दर को रिकॉर्ड निचले स्तर पर कायम रखने का फैसला किया।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना संकट से बाहर निकल चुकी है लेकिन यह अभी आत्मनिर्भर और भरोसेमंद होने के लिहाज से मजबूत नहीं है। उन्होंने जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को 2021-22 में 9.5 प्रतिशत पर कायम रखा। साथ ही कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 6.0 प्रतिशत रहने की संभावना।
दास ने कहा कि आरबीआई की महंगाई पर कड़ी नजर है। अभी भी महंगाई आरबीआई के पूर्व के अनुमान के लगभग अनुरूप है। अल्पकाल में कीमत संबंधी दबाव बने रहने की आशंका है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 5.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहने की संभावना है। कुल मिलाकर इसके 2021-22 में 5.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं 2022-22 की पहली तिमाही में नरम पड़कर पांच प्रतिशत होने और दूसरी तिमाही में पांच प्रतिशत पर ही बने रहने की संभावना है। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति का रुख मुख्य रूप से उभरती घरेलू मुद्रास्फीति और वृद्धि गतिविधियों के अनुकूल है।