(Hindustan)
केंद्र सरकार वर्क फ्रॉम होम (घर से काम) को लेकर एक व्यापक कानून बनाने की तैयारी कर रही है। नया कानून घर से काम कर रहे कर्मचारियों के प्रति कंपनियों की जिम्मेदारी को तय करेगा। इस घनाक्रम से जुड़े दो सरकारी अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के बाद से कंपनियों ने अपने कर्माचरियों को कोविड-19 संक्रमण से बचाने के लिए अधिकतर कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम या हाइब्रिड मॉडल अपनाया। बीते साल यानी 2020 में इसे एक अस्थायी उपाय के रूप में देखा गया, लेकिन अब यह काम करने का नया मॉडल बन गया है। ऐसे में सरकार इस नए कामकाजी मॉडल को लेकर एक कानूनी ढांचा बनाना चाहती है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि जिन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है उनमें कर्मचारियों के लिए काम के घंटे तय करना और घर से काम करने के दौरान अतिरिक्त खर्च होने वाले बिजली और इंटरनेट के लिए कर्मचारियों को भुगतान करना शामिल है।
अधिकारी ने बताया, घर से काम के लिए एक पॉलिसी बनाने में मदद के लिए एक कंसल्टेंसी फर्म को भी शामिल किया गया है। इससे पहले सरकार ने जनवरी में एक स्टैंडिंग ऑर्डर के जरिए सर्विस सेक्टर में ‘वर्क फ्रॉम होम’ को औपचारिक रूप दिया था, जिसके तहत कंपनी और कर्मचारी आपसे में मिलकर काम के घंटे और दूसरी चीजें तय कर सकते हैं। हालांकि, सरकार के इस कदम को सिर्फ एक सांकेतिक अभ्यास के तौर पर देखा गया था, क्योंकि आईटी सहित सर्विस सेक्टर की तमाम कंपनियां पहले से ही अपने कर्मचारियों को विशेष परिस्थितियों के तहत ‘वर्क फ्रॉम होम’ देती रही हैं।