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वैसे तो मौका 62वें जन्मदिन का था, लेकिन बसपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने केक काटने के बजाय अपने राजनीतिक विरोधियों पर जमकर निशाना साधा। बसपा को ही दलितों का हितैषी बताते हुए मायावती ने कहा कि उन्हें दलित उत्पीडऩ में कांग्रेस व भाजपा वाले चोर-चोर मौसेरे भाई नजर आते हैं। दोनों पर घिनौने हथकंडे व षडय़ंत्र से उनकी अंबेडकरवादी पार्टी को कमजोर और खत्म करने का आरोप भी लगाया। बसपा प्रमुख को लगता है कि भाजपा इसी साल कुछ राज्यों के विधानसभा के साथ ही लोकसभा के आम चुनाव करा सकती है। मायावती का मानना है कि केंद्र की मोदी सरकार, भाजपा व एनडीए की न होकर आरएसएस की सरकार बनकर रह गई है। लोकसभा चुनाव में गठबंधन से इन्कार करते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि लोगों को बिना समझौता किए संघर्ष करने की शक्ति सिर्फ बसपा में ही नजर आती है। एक बार फिर ईवीएम पर सवाल उठाते हुए मायावती ने कहा कि अब चुनाव मतपत्र से ही कराए जाएं।
माल एवेन्यू स्थित पार्टी मुख्यालय में सोमवार को अपने जन्मदिन पर बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में मायावती ने तकरीबन आधे घंटे तक भाजपा व कांग्रेस पर तो जमकर निशाना साधा, लेकिन सपा का नाम तक नहीं लिया और कई सवालों के जवाब दिए बगैर कांफ्रेंस से चली गईं। देशभर में दलित उत्पीडऩ की तमाम घटनाओं का जिक्र करते हुए मायावती ने कहा कि इस पर अंकुश लगाने के लिए पार्टी के लोगों को जनाधार बढ़ाकर राजनीतिक सत्ता की मास्टर चावी खुद अपने हाथों में लेनी होगी। मायावती ने कहा कि गुजरात चुनाव के बाद इस बात की ज्यादा संभावना है कि इसी वर्ष भाजपा खासकर राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के विधानसभा के साथ ही लोकसभा के आम चुनाव करवा सकती है। ऐसे में वह जल्द ही चुनाव तैयारियों को लेकर पार्टी के लोगों के साथ बैठक भी करेंगी।