महंगाई की आहट, मोदी सरकार ने आयात-निर्यात पर शुरू की बंदिशें

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बीते कई हफ्तों से देश में प्याज, टमाटर, अंडा, तेल और रिफाइंड ऑयल जैसे जरूरी खाद्य उत्पादों की कीमत में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. केंद्र सरकार कुछ उत्पादों के लिए दावा कर रही कि इजाफा मानसून की चाल या डिमांड-सप्लाई में डिस्टर्बेंस के चलते हुआ है.हालांकि माना जा रहा है कि देश में महंगाई दस्तक देने के लिए तैयार है और ये इजाफे महज एक संकेत हैं. इन्हीं संकेतों से सरकार भी सकते में है और लगातार कोशिश कर रही है कि देश में जरूरी खाद्य उत्पादों की डिमांड-सप्लाई में बैलेंस बना रहे.

गौरतलब है कि 1 जुलाई 2017 से देश में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) लागू होने के बाद आर्थिक जानकारों ने आशंका जाहिर की थी कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने महंगाई की गंभीर चुनौती खड़ी हो सकती है. इस चुनौती के चलते देश में विकास की रफ्तार को झटका लगने के साथ-साथ व्यापक स्तर पर बेरोजगारी का संकट भी पैदा हो सकता है.

कहीं फिर न बहें प्याज के आंसू:

बीते महीने से प्याज की कीमतें एक बार फिर सैकड़ा पार करने की ओर अग्रसर हैं. मौजूदा समय में रिटेल मार्केट में प्याज 80 रुपये किलो बिक रही है. केन्द्र सरकार की दलील है कि कीमतों में यह इजाफा मानसून में डिस्टर्बेंस की उम्मीद पर प्याज की बुआई के घटे रकबे के कारण हो रही है.

वहीं कृषि वैज्ञानिकों का भी कहना है कि बुआई के रकबे में गिरावट के चलते खरीफ प्याज की पैदावार भी कम रहेगी. हालांकि हकीकत यह भी है कि मानसून और खेती के इस अलर्ट के बावजूद जून से सितंबर तक देश से बड़ी मात्रा में कोल्ड स्टोरेज में रखी प्याज की रबी फसल को इंपोर्ट कर दिया गया.

इस इंपोर्ट के चलते बाजार में डिमांड-सप्लाई डिस्टर्ब हुई. बहरहाल, अब प्याज की कीमतों पर स्थिति बेकाबू न हो जाए, केन्द्र सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाने का फैसला कर लिया है. इस फैसले के मुताबिक 2015 के बाद एक बार फिर देश से प्याज एक्सपोर्ट करने पर भारी-भरकम मिनिमम एक्सपोर्ट टैक्स (मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस) अदा करना होगा.

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