पूर्व नौकरशाह की काली कमाई से हो रहा है इंडिया संवाद

0

(DivyaSandesh)

क्या आप यूपी के रंगीले किस्म के पूर्व आईएएस के बारे में जानते हैं। क्या आप यूपी के ऐसे आईएएस के बारे में जानते हैं जो नौकरी छोडऩे के दो साल के बाद खुद की कम्पनी का प्रबंधक निदेशक बन गया हो। क्या आप यूपी के ऐसे खिलाड़ी आईएएस के बारे में जानते हैं जो अपने शौक पूरे करने के लिए कई खेल संघों का अध्यक्ष रह चुका हो। क्या आप ऐसे बिजनेस मैन आईएएस के बारे में जानते हैं जो सत्ता अपनी अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए मीडिया में करोड़ों रुपए की काली कमाई निवेश कर रह है।

यूपी कॉडर 1975 बैच के पूर्व आईएएस प्रभात चतुर्वेदी का नाम आपने जरूर सुना होगा। 9 अगस्त 1979 में पहली नियुक्ति यूपी सीमेंट कारपोरेशन में महाप्रबंधक के पद पर हुई थी। तीन साल के कार्यकाल में चुर्क सीमेंट फैक्ट्री वित्तीय अनियमितताओं और घाटे के चलते बंद हो गई। 19 अक्टूबर 1983 को यूपी कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक पद पर तैनाती हुई। तीन साल तक 29 शुगर फैक्ट्रियों का प्रबंधन देखा। मात्र तीन साल के कार्यकाल में 29 शुगर फैक्ट्रियों का बुरा हाल हो गया। गलत प्रबंधन और भ्रष्टïाचार के कारण अधिकतर शुगर फैक्ट्रियां बंद हो गईं। 30 अप्रैल 1990 को केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर प्रधानमंत्री कार्यालय के निदेशक पद पर तैनात किए गए। चार साल तक इस पद पर रहे। इसके बाद केन्द्र सरकार में इंडस्ट्री, इंफ्रास्ट्रक्चर, इंश्यारेंस, फंड मैनेजमेंट, लेबर एंड एप्लोयमेंट, सोशल सिक्योरिटी, फूड एंड सिविल सप्लाई जैसे महत्वपूर्ण पर पर रहे। 31 अगस्त 2011 को लेबर एंड एप्लोयमेंट सचिव के पद से रिटायर हुए। अपने पूरी नौकरी के कार्यकाल में मलाईदार और महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह पूर्व हरफनमौला आईएएस कितना शातिर रहा होगा।

यूपी के एक पुराने खेल पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पूर्व आईएएस प्रभात चतुर्वेदी का व्यक्तित्व काफी रंगीला था। टेबिल टेनिस फेडरेशन में अध्यक्ष के दौरान इनकी हरकतें काफी चर्चा में थी। लेकिन उस दौरान में काफी प्रभावशाली होने के कारण न तो अखबारों में खबर प्रकाशित हो पाती थी न ही कोई नेता उन मुद्दों को उठा पाने में समर्थ था। अपनी इसी हरकतें के कारण कई संघों से निकाले भी गए थे।

सूत्रों का कहना है कि अपनी सरकारी सेवा के दौरान अरबों रुपए की काली कमाई की। अपनी इसी काली कमाई के बल पर देश ही नहीं विदेश में भी अकूत चल-अचल सम्पत्ति खड़ी की है। ईएसआई हॉस्पिटलों के निर्माण पर राजकीय निर्माण निगम के माध्यम से लगभग 500 करोड़ रुपए कमाए। अपने दोस्तों की सिंगरपुर कम्पनी में अपनी काली कमाई निवेश किया था। जिसकी जांच ईडी द्वारा की जा रही है। तमाम महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए सरकार से विश्वास किया। रिटायरमेंट के दो साल बाद ही ऑयल एंड शेल गैस, खनन, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और कामोडिटी का कारोबार करने वाले कम्पनी ओवरसीज पार्टनर प्राइवेट लिमिटेड (ओपीपीएल) कम्पनी के प्रबंध निदेशक बन गए। सूत्रों का दावा है कि अपनी करीबी चार्टड एकाउंटेंट विनोद दोधिया से मिलकर अपनी काली कमाई से कई कम्पनियां खड़ी की। जिनमें प्रमुख कम्पनी ओवरसीज पार्टनर प्राइवेट लिमिटेड हैं। इसमें एक तीसरे पार्टनर बनाया एयर फोर्स में रहे दीपक नाथवानी। बताते हैं कि ओवरसीज पार्टनर प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी के असली कर्ताधर्ता पूर्व आईएएस प्रभात चतुर्वेदी ही हैं। बाकी डमी पार्टनर हैं।

राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों पर अपना प्रभाव जमाए रखने के लिए इंडिया संवाद नाम एक वेबपोर्टल खोल है। इस वेबपोर्टल पर पूर्व आईएएस प्रभात चतुर्वेदी ने अपनी करोड़ों रुपए की कलाई कमाई निवेश किया है। अपने इस मिशन में पत्रकारिता के हरफनमौला पत्रकारों को ट्रस्टी के रूप में शािमल किया है। इस टीम का नेतृत्व मुज्जफरनगर दंगे में फर्जी खबरें चलाने के आरोपी पत्रकार दीपक शर्मा रहे हैं। इसमें वरिष्ठï पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव,अरूण कुमार त्रिपाठी और नाजिम नकवी भी हैं। पूर्व आईएएस प्रभात चतुर्वेदी से सम्पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।

Share.

About Author

Twitter Auto Publish Powered By : XYZScripts.com