(DJ)
सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 तक 2.41 लाख करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया है। एनडीए सरकार ने यह जानकारी राज्य सभा में एक लिखित उत्तर के जरिए दी है। बैंकों ने अपने नियमित अंतराल पर लोन और नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) को माफ किया है क्योकि इसने उन्हें अपनी बैंक की बैलेंस शीट साफ सुथरी रखने और कर-दक्षता हासिल करने में मदद की है। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री शिव प्रसाद शुल्क ने एक लिखित उत्तर के जरिए दी है। उन्होंने कहा, “वैश्विक परिचालन पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डेटा के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2014-15 से सितंबर 2017 तक 241,911 करोड़ रुपये की राशि समझौते के साथ माफ की है।”
हालांकि इस कर्जमाफी के बाद भी बकाएदार भुगतान के लिए बाध्य होंगे। यह सरफेसी अधिनियम और ऋण वसूली न्यायाधिकरण के वैध तंत्र के अंतर्गत चलने वाली एक सतत प्रक्रिया है। इसलिए यह कर्जमाफी देनदारों को फायदा नहीं पहुंचाएगी। वित्त राज्य मंत्री ने राज्यसभा को यह भी जानकारी दी है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मुताबिक उधार लेने वालों की सूची को उपलब्ध नहीं करवाया जा सकता है क्योंकि आरबीआई एक्ट में यह प्रावधान है कि बैंकों की क्रेडिट जानकारी को गोपनीय ही रखा जाए।