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आतंक के पनाहगाह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर हर तरफ से लानतें मिल रही हैं. अब आलम ये हो गया है कि उसका सबसे बड़ा मददगार और दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका भी उसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. यहां तक कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कह दिया है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए पाकिस्तान को कोई आर्थिक मदद नहीं मिलेगी, क्योंकि उसने अब तक आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. अपने इस बयान के बाद अमेरिका ने एक्शन भी कर दिखाया है. अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 255 मिलियन डॉलर की सैन्य मदद पर रोक लगा दी है.
यूं तो भारत विभाजन के बाद अस्तित्व में आए पाकिस्तान को उसके गठन से ही अमेरिका मदद देता आ रहा है. लेकिन 2001 में अमेरिका पर आतंकी हमले के बाद यूएस ने पाकिस्तान को मदद का भंडार खोल दिया. अमेरिका के एक रिसर्च थिंक टैंक सेंटर फॉर ग्लोबल डवलवमेंट (CGD) की रिपोर्ट में बताया गया है कि 1951 से लेकर 2011 तक अलग-अलग मदों में अमेरिका ने पाकिस्तान को 67 बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद दी है. बराक ओबामा के शासनकाल में 2009 में पाकिस्तान की मदद के लिए कैरी लुगर विधेयक (एनहेन्स्ड पार्टनरशिप विद पाकिस्तान एक्ट ऑफ 2009) पास किया गया. आगामी पांच सालों (2010-14) में साढ़े सात अरब अमेरिकी डालर की असैनिक मदद वाले कैरी लुगर विधेयक को व्हाइट हाउस ने पाकिस्तान के लिए व्यापक समर्थन की ठोस अभिव्यक्ति बताया.