ग्रीन एनर्जी से दो वर्षों में एक लाख करोड़ बचेंगे, पेट्रोलियम मंत्रालय की पहल, गेल जैसी कंपनियां आगे आईं

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(DJ)

यातायात से जुड़े वाहनों में पेट्रोल-डीजल की जगह ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल से अगले दो वर्षों में आयात बिल में एक लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। वहीं, देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रयास से इस योजना को अंजाम दिया जा रहा है। पेट्रोलियम सचिव तरुण कपूर ने बताया कि बायोडीजल, हाइड्रोजन, कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी), एथनॉल जैसी कई ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ाने पर काम चल रहा है। लेकिन अगले दो वर्षो में मुख्य रूप से सीबीजी और एथनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से आयात बिल में एक लाख करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है।

कपूर ने बताया कि वर्ष 2025 तक गाडि़यों में इस्तेमाल होने वाले ईधन में 20 फीसद एथनॉल मिलाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन यह लक्ष्य अगले दो वर्षो में हासिल किया जा सकता है। सरकार की योजना के अनुसार 20 फीसद एथनॉल मिश्रित फ्यूल के लिए सालाना 1,000 करोड़ लीटर एथनॉल तैयार करना होगा जिससे कच्चे तेल के आयात में कमी होगी और आयात बिल में 50,000 करोड़ रुपये की बचत होगी।

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