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केंद्र और राज्यों द्वारा पेट्रोल एवं डीजल पर शुल्क में कटौती के बावजूद खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में तीन महीने के उच्च स्तर 4.91 फीसदी पर पहुंच गई। अक्टूबर में यह 4.48 फीसदी पर थी। नवंबर में मुद्रास्फीति में तेजी मुख्य रूप से खाने-पीने की चीजों के दाम बढऩे की वजह से आई है। टमाटर और कुछ सब्जियों को छोड़ दें तो अन्य के दाम घटने के बावजूद नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति इससे पिछले महीने के 0.85 फीसदी से बढ़कर 1.87 फीसदी पहुंच गई। असल में कच्चे माल की लागत बढऩे की वजह से कंपनियों ने अपने उत्पादों एवं सेवाओं के दाम बढ़ा दिए हैं, जिसका असर मुद्रास्फीति पर पड़ा है।
हालांकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अभी चिंताजनक स्तर पर नहीं पहुंची है और पांच महीने से यह भारतीय रिजर्व बैंक के 2 से 6 फीसदी के दायरे में बनी हुई है। लेकिन विशेषज्ञों ने चेताया है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ मांग बढऩे से मुद्रास्फीति में आगे तेजी आ सकती है।
नवंबर में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के कदम से पेट्रोल के दाम में 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम में 10 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है। पेट्रोल की मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 23.87 फीसदी रह गई और डीजल की मुद्रास्फीति इस दौरान घटकर 22.45 फीसदी पर आ गई। खाद्य पदार्थों का भारांश 39.06 फीसदी है और नवंबर में कुल मुद्रास्फीति में इसका योगदान करीब 17 फीसदी रही। इधर सब्जियों के दाम में लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है। नवंबर में सब्जियों की मुद्रास्फीति घटकर 13.62 फीसदी रही, जो अक्टूबर में 19.43 फीसदी थी। लेकिन टमाटर में 31.35 फीसदी का इजाफा हुआ है।
खाद्य पदार्थों और ईंधन को छोड़ दें तो अन्य चीजों की मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर 5.9 फीसदी रही जो अक्टूबर में 5.8 फीसदी थी। साल भर में इसका निचला स्तर 5.5 फीसदी और उच्चतम स्तर 5.9 फीसदी रहा है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘कच्चे माल की लागत बढऩे से कई क्षेत्रों के विनिर्माताओं को अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने पड़े हैं। नवंबर में मुद्रास्फीति उम्मीद से कुछ ज्यादा तेजी से बढ़ी है।’ नवंबर 2020 में मुद्रास्फीति का आधार 6.63 फीसदी के उच्च स्तर पर था। सेवा क्षेत्र में उच्च मुद्रास्फीति देखी गई। स्वास्थ्य में 7.3 फीसदी और परिवहन एवं संचार में 10 फीसदी मुद्रास्फीति रही।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि सेवा क्षेत्र धीरे-धीरे खुल रहा है और इसकी उच्च लागत ग्राहकों की जेब को प्रभावित करेगी। दूरसंचार कंपनियों ने भी अपनी शुल्क दरें बढ़ा दी हैं और उसका भी असर पड़ा है। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि स्वास्थ्य, परिवहन और संचार में मुद्रास्फीति संरचनात्मक है।