उत्तराखंड में स्थापित होगा देश का दूसरा एलएलएन सेंसर

0

(AU)

उत्तराखंड में भी अब आकाश में बिजली चमकने और आंधी-तूफान की तीव्रता के आकलन के साथ ही कारणों का भी पता लगाया जा सकेगा। भारतीय उष्णीयदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) पुणे के सहयोग से एचएनबी केंद्रीय गढ़वाल विवि श्रीनगर के भौतिकी विभाग में इसके लिए प्रयोगशाला स्थापित की जा रही है। प्रयोगशाला से वैज्ञानिकों को मौसम में हो रहे अचानक बदलावों की सटीक जानकारी मिलेगी, जिससे समय रहते अलर्ट होने से नुकसान को भी कम किया जा सकेगा।

वातावरण में विद्युतीय तरंग हर समय प्रवाहित होती रहती हैं। मौसम में किसी भी प्रकार का बदलाव होने पर विद्युतीय तरंगों में भी परिवर्तन होता है। यदि इन तरंगों की तीव्रता का अध्ययन किया जाए, तो मौसम का पूर्वानुमान किया जा सकता है। गढ़वाल विवि के भौतिकी विभाग में इसी के अध्ययन के लिए लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क (एलएलएन) सेंसर स्थापित किया जा रहा है।

भौतिकी विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. आलोक सागर गौतम का कहना है कि यदि वातावरणीय विद्युतीय मापदंडों (एटमोसफेरिक इलेक्ट्रिकल पैरामीटर) की निगरानी की जाए, तो किसी भी क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन को चार घंटे पहले भी बताया जा सकता है। मौसम परिवर्तन की सटीक भविष्यवाणी सेंसर के माध्यम से जा सकती है। एलएलए कई सेंसर का सामूहिक रुप है। इसमें ऐसे सेंसर होते हैं, जो वातावरणीय विद्युत को रिकार्ड करते हैं। वोल्ट और एंपियर में गणना होने पर मौसम परिवर्तन के अध्ययन में आसानी होगी। इससे बिजली गिरने के संबंध में चली आ रही भ्रांतियां भी दूर होंगी।

Share.

About Author

Twitter Auto Publish Powered By : XYZScripts.com