आत्मनिर्भर भारत मिशन को गति प्रदान कर रहा बोकारो स्टील प्लांट

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(Prabhat Khabar)

बोकारो, वर्ष 1964 में बोकारो स्टील प्लांट की स्थापना के बाद से बीते छह दशकों में माराफारी के नाम से पूर्व में जाना जाने वाला यह क्षेत्र अब देश-विदेश में अपनी पहचान एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र के रूप में बना चुका है. वर्तमान में बोकारो स्टील प्लांट महज इस्पात उत्पादन की एक इकाई नहीं रह गया, बल्कि यह भारत की औद्योगिक आत्मनिर्भरता, तकनीकी नवाचार और समावेशी विकास का प्रतीक बन चुका है.

बीएसएल ने देश को वैश्विक मंच पर सशक्त इस्पात उत्पादक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में भूमिका निभायी है. क्षेत्रीय विकास, सामाजिक सशक्तीकरण व समावेशी प्रगति को निरंतर गति दी है. सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ व ‘विकसित भारत 2047’ जैसी दूरदर्शी पहलों के अनुरूप कार्य करते हुए रणनीतिक महत्त के अनेक स्टील ग्रेड्स का स्वदेशी विकास कर रहा है, जिन्हें विदेशों से आयात किया जाता था.

विदेशों से किया जाता था आयात, अब प्लांट में हो रहा उत्पादन

शिपिंग कंटेनरों के लिए पहले चीन पर रहना पड़ता था निर्भर

स्पेशल इस्पात कॉरटन स्टील, जो पहले विदेशों से आयात किया जाता था. अब बोकारो स्टील प्लांट ने इसका स्वदेशी विकल्प ‘वेदर रेसिस्टेंट स्टील’ (IS-11587) का निर्माण किया है, जिसे ‘सेलकोर’ के नाम से जाना जाता है. यह उच्च गुणवत्ता का इस्पात भारतीय रेल के वैगनों व ढांचागत संरचनाओं में व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, जो आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूती दे रहा है.

कभी शिपिंग कंटेनरों के लिए भारत को अन्य देशों विशेषकर चीन पर निर्भर रहना पड़ता था, आज वहीं बोकारो द्वारा विकसित WR-Fe 490H ग्रेड स्टील के माध्यम से भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम बढ़ा चुका है. इसके अतिरिक्त संयंत्र ने उच्च तन्यता शक्ति वाले गैल्वनाइज्ड स्टील का विकास किया है, जो फूड ग्रेन साइलो निर्माण में प्रयुक्त होता है. इस तरह का स्टील पहले आयात होता था.

कृषि भंडारण के लिए तकनीकी दृष्टि से टिकाऊ

450 GSM जिंक कोटिंग और 350 MPa से अधिक यील्ड स्ट्रेंथ से युक्त स्टील कृषि भंडारण के लिए तकनीकी दृष्टि से उपयुक्त व टिकाऊ समाधान प्रदान करता है, जो ‘सेव ग्रेन कैंपेन’ और खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करता है. बीएसएल में नित्य नये स्पेशल स्टील का उत्पादन पर फोकस किया गया है, ताकि विदेशों से आयात पर हमारी निर्भरता काम हो. इसके लिये टीम बीएसएल दिन-रात प्रयासरत है.

भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान कर रहा स्टील

राष्ट्र की सामरिक शक्ति को सशक्त बनाने के लिये बोकारो स्टील प्लांट द्वारा विकसित स्वदेशी डीएमआर 249A मरीन ग्रेड स्टील का उपयोग भारतीय नौसेना के अग्रणी युद्धपोतों आइएनएस विक्रांत, आइएनएस महेंद्रगिरि, आइएनएस विंध्यगिरी व हाल ही में राष्ट्र को समर्पित अरइएनएस नीलगिरि के निर्माण में किया गया है. यह योगदान भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती प्रदान करता है.

देश की आवश्यकताओं के अनुरूप कई और स्पेशल इस्पात ग्रेड विकसित प्रक्रिया में

राष्ट्रीय एकता व सामाजिक समरसता का उदाहरण बना बीएसएल

नवीकरणीय ऊर्जा विशेषकर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में संयंत्र ने IS 277 GP 350 ग्रेड के अनुरूप 600 GSM जिंक परत वाले विशेष गैल्वनाइज्ड स्टील का सफल विकास किया है. इसकी उच्च संक्षारण प्रतिरोधक क्षमता और यांत्रिक मजबूती इसे सोलर पैनल माउंटिंग स्ट्रक्चर्स के लिए आदर्श बनाती है. देश की आवश्यकताओं के अनुरूप कई और स्पेशल इस्पात ग्रेड विकसित प्रक्रिया में है.

बोकारो स्टील सिटी केवल मात्र एक औद्योगिक शहर ही नहीं, बल्कि विविधता में एकता का प्रतिरूप है, जिसे अक्सर ‘मिनी भारत’ भी कहा जाता है. देश के कोने-कोने से आये लोग यहां एक साथ रहकर संयंत्र की सफलता में योगदान दे रहे हैं, जिससे यह स्थान राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता का जीवंत उदाहरण बन चुका है. स्टील सिटी और परिक्षेत्रीय इलाके का व्यापक जन समुदाय भी भागीदार रहा है. टीम बीएसएल उत्साहित है.

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