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कांग्रेस ने राज्यसभा के सभापति द्वारा सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस ठुकराए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के संकेत दिए हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि संविधान में न्यायपालिका को सभापति के फैसले की समीक्षा का अधिकार है। महाभियोग पर जारी सियासी संग्राम के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोमवार से संविधान बचाओ अभियान की शुरुआत करेंगे। इसकी पहली कड़ी में तालकटोरा स्टेडियम में एक सम्मेलन होगा। पार्टी की योजना देश भर में यह अभियान चलाने की है। यह अभियान अगले साल संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) तक जारी रहेगा।
उधर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के खिलाफ महाभियोग नोटिस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर उठ रहे सवालों पर भी कांग्रेस ने आक्रामक रुख अपनाया है। पार्टी के राज्यसभा सदस्य और वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी ने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद इसके तथ्यों की जानकारी मीडिया को न देने का कोई नियम नहीं है। संविधान में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है।
इस पर सवाल उठाने वाले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिसंबर 2009 में जस्टिस दिनाकरन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के साथ मीडिया को संबोधित किया था। एक अन्य नेता विवेक तन्खा ने सीजेआई को अपने ऊपर लगे आरोपों के लिए खुद जांच बिठाने का सुझाव दिया। सांसद तुलसी ने इसे बेवजह का मुद्दा बताते हुए कहा, सवाल सरकार की ओर से उठाए जा रहे हैं। ऐसे में वित्त मंत्री जेटली को जवाब देना चाहिए कि जस्टिस दिनाकरन मामले में नोटिस देने के बाद वह क्यों मीडिया से मुखातिब हुए थे। दूसरे सांसद तन्खा ने कहा कि विवाद सीजेआई के पद के दुरुपयोग जैसे गंभीर मामले का है।