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जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नई अफगान नीति की घोषणा करके अफगानिस्तान को वैश्विक कूटनीति के केंद्र में ला दिया है, उसे देखते हुए राष्ट्रपति अशरफ गनी की मंगलवार को हुई भारत यात्रा कई मायने में अहम है। गनी तब आये हैं जब अमेरिका की तरफ से भारत पर अफगान में और सक्रिय भूमिका निभाने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में मंगलवार को नई दिल्ली में गनी की पीएम नरेंद्र मोदी के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता को कूटनीतिक जानकार खास तवज्जो दे रहे हैं। वैसे इन दोनो नेताओं के बीच हुई बातचीत में पाकिस्तान समर्थित आतंक का मुद्दा काफी जोर शोर से उठा। भारत ने गनी को इस बात का आश्वासन दिया कि वहां आतंक को समाप्त करने में वह हरसंभव मदद करेगा।
गनी की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से अलग-अलग बातचीत भी हुई। इसके बाद उनकी पीएम मोदी से एकांत में वार्ता हुई। फिर दोनो की अगुवाई में सरकारों के प्रतिनिधियों की बातचीत हुई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के मुताबिक, ‘यह मोदी और गनी के बीच 12वीं मुलाकात है जबकि पिछले तीन वर्षो में गनी की चौथी भारत यात्रा है जो बताता है कि दोनो देश किस कदर आपसी रिश्ते को महत्व दे रहे हैं।’
पिछली बार की हर मुलाकात में आतंक के खिलाफ सहयोग एक अहम मुद्दा रहा है और इस बार भी मोदी व गनी के बीच दूसरे देशों की तरफ (पाकिस्तान) से आतंकी गतिविधियों को मिल रहे बढ़ावा पर लगाम लगाने की रणनीति पर खास तौर पर चर्चा हुई। अफगानिस्तान की तरफ से सैन्य साजों समान के साथ आतंकियों से लड़ने के लिए हेलीकॉप्टर की मांग की गई है। अफगान के और ज्यादा पुलिसकर्मियों व सैन्यकर्मियों को भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा। मोदी और गनी ने पाकिस्तान का सीधे तौर पर नाम तो नहीं लिया लेकिन जब उन्होंने यह कहा कि ‘अफगान में स्थाई शांति के लिए दूसरे देशों में आतंकियों के सुरक्षित पनाहों को बंद किया जाना चाहिए’ तो वे किस देश का नाम ले रहे हैं यह किसी से छिपा नहीं रहा।