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दो साल तक गुजरात सरकार और भाजपा की नाक में दम करने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के असर को कम करने की भाजपा की रणनीति फिलहाल सफल होती दिख रही है। पार्टी ने हार्दिक की छवि को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ अमानत आंदोलन के उनके पांच सहयोगियों चिराग पटेल, केतन पटेल, रेशमा पटेल, अमरीश पटेल और श्वेता पटेल को तोड़ लिया है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अपने पुराने सहयोगियों के बिना हार्दिक कांग्रेस को कोई लाभ पहुंचा पाएंगे? जाहिर तौर पर अब हार्दिक के समक्ष अपने दम पर चमत्कार दिखाने की चुनौती है।इस बीच, भाजपा ने पाटीदारों में हार्दिक का प्रभाव खत्म हो जाने का संदेश देने के लिए न सिर्फ पाटीदार बिरादरी के प्रभाव वाले इलाकों में जोरदार रैलियां करने की रणनीति बनाई है, बल्कि टिकट पाने वाले पाटीदार उम्मीदवारों के नामांकन के दौरान जबरदस्त भीड़ इकट्ठा करने के भी निर्देश दिए हैं।
दरअसल, भाजपा की पाटीदार आंदोलन के दौरान हार्दिक को कमजोर करने की सभी कोशिशें नाकाम रही थी। इसी बीच हार्दिक और कांग्रेस की बढ़ती नजदीकी से बेचैन पार्टी के रणनीतिकारों ने पाटीदार अमानत आंदोलन के प्रमुख चेहरों को साधने की रणनीति बनाई।