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सरकार ने गैर-सरकारी प्रोविडेंट फंड, पेंशन और ग्रेच्युटी की दरें बढ़ा दी हैं। नई दरें एक अक्टूबर से लागू हुई हैं। 1 दिसंबर, 2018 को समाप्त तिमाही के लिए इन पर ब्याज दर 7.6 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी तक कर दी गर्इ हैं। वित्त मंत्रालय ने 4 अक्टूबर को इस संशोधन की अधिसूचना जारी की है। 31 मार्च, 2018 को समाप्त तिमाही के लिए ब्याज दर 7.6 फीसदी थी, जबकि जून और सितंबर तिमाहियों में इन्हें 7.6 फीसदी पर बरकरार रखा गया था।
कई गैर सरकारी ट्रस्ट खुद भविष्य निधि का प्रबंधन करते हैं। ऐसा करते हुए उन्हें सरकार द्वारा तय निवेश की गाइडलाइन्स माननी पड़ती है। कई जीवन कंपनियों के पास पेंशन प्लान और ग्रैच्युटी फंड होते हैं। कर्मचारियों के फायदे के लिए कंपनियां इनमें निवेश कर सकती है। विशेष जमा स्कीमों (एसडीएस) दरों में बढ़ोतरी से पेंशन, गैर-सरकारी पीएफ और ग्रेच्युटी फंडों में अतिरिक्त रिटर्न मिलेगा। इससे इन फंडों में निवेश करने वाले कर्मचारियों को लंबे समय में इसका फायदा मिलेगा।
विशेष जमा स्कीमों (एसडीएस) का उद्देश्य गैर-सराकारी पीएफ, पेंशन, ग्रेच्युटी फंड में एलआईसी के सरप्लस फंड और कर्मचारी राज्य बीमा आदि से बेहतर रिटर्न देना है। इसकी शुरुआत एक जुलाई 1975 से हुई थी। इसके अलावा गैर-सरकारी भविष्य निधि, पेंशन और ग्रेच्युटी फंड की कमाई सरकारी प्रतिभूतियों, म्यूचुअल फंड इत्यादि में निवेश के माध्यम से होती है। अंतिम बार 2015 में गैर-सरकारी पीएफ, पेंशन फंड और ग्रेच्युटी फंड के लिए निवेश का पैटर्न संशोधित किया गया था। इसमें कई दूसरी श्रेणियां जैसे इंडेक्स फंड, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, डेट म्यूचुअल फंड आदि जोड़े गए थे।