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सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में बदलाव कर दिया है। अब हिंदी पढ़ने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। संशोधित मसौदे में त्रिभाषा फार्मूले के तहत छात्र अब कोई भी तीन भाषा पढ़ने के लिए स्वतंत्र होंगे। हालांकि इनमें एक साहित्यिक भाषा जरूरी होगी। पुराने मसौदे में हिंदी, अंग्रेजी के साथ कोई एक स्थानीय भाषा पढ़ने का प्रावधान था।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में यह बदलाव सोमवार को गैर-हिंदी भाषी प्रदेशों, खासकर दक्षिण भारतीय राज्यों, से उठ रहे विरोध के सुर को देखते हुए किया गया है। इसकी शुरुआत तमिलनाडु से हुई थी, जहां द्रमुक सहित कई राजनीतिक दलों ने इसे लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया था। इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने में जुट गए थे।