(Hindustan)
भारत में महिलाओं के खतने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। याचिका पर आज सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में होने वाले नाबालिग लड़कियों के खतने पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ शादी के लिए महिलाओं का खतना करना सही नहीं है।
महिलाओं का जीवन केवल शादी और पति के लिए नहीं होता। शादी के अलावा भी महिलाओं के लिए बहुत कुछ है। खतना करने की प्रथा महिलाओं की निजता के अधिकार का हनन है। यह लैंगिक संवेदनशीलता का मामला है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने खतने को महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक भी बताया।
कोर्ट ने कहा कि किसी की पहचान के लिए खतने जैसा कृत्य जरूरी नहीं है। याचिका पर मंगलवार को भी कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि धर्म के नाम पर कोई भी किसी महिला के प्राइवेट पार्ट को कैसे छू सकता है? ऐसा करना महिलाओं की गरिमा और सम्मान के खिलाफ है।