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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चार साल बनाम सत्तर साल से लोकसभा की चुनावी चौसर सजा गए। प्रदेश में 60 हजार करोड़ रुपये की निवेश परियोजनाओं का शिलान्यास करते हुए उन्होंने सियासी लड़ाई को काम बनाम बात करने वालों के बीच समेटने की भी कोशिश की।उन्होंने समारोह को सरकार की नीयत पर सवाल उठाने वालों को जवाब देने का जरिया भी बनाया। लगातार दूसरे दिन लखनऊ में केंद्र सरकार के कामों को अटल बिहारी वाजपेयी के सपनों और संकल्पों से जोड़कर यह भी साफ कर दिया कि मिशन 2019 में अटल का नाम भी उनका सहारा होगा।
एक दिन पहले सरोकारों पर काम करने वाली सरकार की छवि का संदेश देकर चुनावी समीकरण दुरुस्त करने की कोशिश करने वाले मोदी ने दूसरे दिन रविवार को विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया। विपक्ष के सरोकारों पर भी सवाल उछाले जो निश्चित रूप से चुनाव में किसी न किसी रूप में प्रचार के दौरान गूंजेंगे। मोदी यह समझते हैं कि चुनाव भले ही लोकसभा का हो, लेकिन राज्यों में वहां की सरकारों के काम और सरोकार भी अहम भूमिका निभाते हैं।
शायद यही वजह रही कि उन्होंने लोगों के दिमाग में यह बैठाने पर खास फोकस किया कि पांच माह में 60 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर करार और शिलान्यास यूपी में योगी के नेतृत्व में भाजपा की काम करने वाली सरकार होने की वजह से संभव हुआ। वह यह बता गए कि शिलान्यास की जाने वाली परियोजनाओं को परवान चढ़ाने और उनका लाभ प्रदेश को मिले, इसके लिए केंद्र में भाजपा की ही सरकार जरूरी है।