(Hindustan)
श्रीकाशी विद्वत परिषद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “राष्ट्र ऋषि’ की उपाधि से अलंकृत करने का निर्णय किया है। यह दूसरा अवसर होगा जब धर्म क्षेत्र के बाहर से किसी व्यक्ति को परिषद की ओर से कोई उपाधि प्रदान की जाएगी। इसके पहले पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह को राजर्षि की उपाधि दी गई थी।
मोदी को राष्ट्र ऋषि उपाधि देने संबंधी निर्णय की घोषणा बुधवार को परिषद के अध्यक्ष पं. रामयत्न शुक्ल के आवास पर पत्रकारवार्ता में की गई। अध्यक्ष के साथ पत्रकारवार्ता में उपस्थित महामंत्री डा. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि मोदी को काशी विद्वत परिषद भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक प्रधानमंत्री के रूप में देखता है। इसलिए उनसे संस्कृत में शपथ लेने का अनुरोध भी किया गया है। परिषद ने दो पृष्ठों का प्रोफार्मा बनाकर पीएमओ को भेजा है।
देश में सनातन धर्म संबंधी कोई विवाद होने की स्थिति में श्रीकाशी विद्वत परिषद को पक्षकार के रूप में न्यायालय द्वारा समय-समय पर आमंत्रित किया जाता रहा है। इंदिरा गांधी के दौर में कांग्रेस के चुनाव चिह्न ‘गाय-बछड़ा’ को लेकर हुए विवाद में न्यायालय ने परिषद का विचार मांगा था। तब प्रतिनिधि के रूप में पं. पट्टाभिराम शास्त्री ने धार्मिक पक्ष रखा था। उनके तर्कों के आधार पर ही उस वाद में न्यायालय ने कांग्रेस का चुनाव चिह्न बदलने का निर्णय दिया था।