(Hindustan)
पहाड़ों में खेती के लिए कम लागत और कम पानी की तकनीकें बेहद कारगर साबित हो सकती है। इसके लिए हमें कृषि का सुभाष पालेकर मॉडल अपनाकर देखना होगा। इस से किसानों की आय भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने गुरुवार को ये बात कही। वे आईटीडीए ऑडिटोरियम सर्वे चोक में कृषि विभाग की ओर से आयोजित शून्य बजट खेती पर चर्चा के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुँचे थे। सीएम ने कहा की पहाड़ों में लगातार उत्पादकता कम हो रही है।जिस से लोग खेती छोड़ रहे हैं। इसके पीछे पानी की कमी और लागत का अधिक होना है।
उन्होंने कहा कि पलायन रोकने को भी खेती बेहद कारगर है। सीएम ने हिमाचल में अपनाए जा रहे पालेकर कृषि मॉडल की स्टडी और उसका यहां असर देखने की भी बात कही। कहा कि रासायनिक खादों का इस्तेमाल काम से कम करना होगा। ताकि पर्यावरण को प्रदूषण और इंसानों को घातक बीमारियों से बचाया जा सके। वही कार्यक्रम में पद्मश्री सुभाष पालेकर ने जैविक और रासायनिक खेती को कम उत्पादकता वाला बताया। कहा कि उनके मॉडल में खेती और बागवानी के लिए पानी की जरूरत 90 प्रतिशत कम हो जाती है।जो पहाड़ो के लिए काफी कारगर होगी। कहा कि पहाड़ों की खेती जानवरो से बचाने के लिए जैविक फेंसिंग लगाई जा सकती है। पलायन की रिपोर्ट पर सीएम ने कहा कि पूरे गाव नही कुछ मजरे खाली हो रहे हैं। लेकिन ये भी चिंताजनक है। कार्यक्रम में विधायक खाजनदास, कृषि सचिव डी सेंथिल पांडियन, कृषि निदेशक गौरी शंकर सहित कई किसान मौजूद थे।