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भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि सीमा को लेकर चल रहे विवाद के समाधान को भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति का दोनों पक्षों द्वारा ईमानदारी से सम्मान होना चाहिए, क्योंकि यह काफी महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का यह बयान चीन के विदेश मंत्रालय के उस बयान के जवाब में आया है जिसमें कहा गया है कि भारत को सिक्किम में सीमा विवाद को लेकर 1890 में यूके-चीन के बीच हुई संधि को स्वीकार करना चाहिए। चीन की ओर से यह बयान भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की नाथूला पोस्ट के दौरे के एक दिन बाद रविवार को आया था। रवीश कुमार ने कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद के मुद्दे पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच समय-समय पर हुए समझौते और सहमति के आधार पर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच पिछली सहमति वर्ष 2012 में बनी थी और इसका दोनों देशों द्वारा ईमानदारी से सम्मान होना चाहिए।
डोकलाम में विवादित स्थल पर चीनी सेना की अच्छी-खासी तैनाती और विवादित क्षेत्र से मात्र 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सड़क को चौड़ा करने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि डोकलाम में कुछ भी नया नहीं हुआ है। वहां यथास्थिति बरकरार है। उन्होंने कहा कि दोकलम में किसी तरह की नई घटना की खबरें पूरी तरह से गलत हैं।