कोयला खदानों में पेस्ट फिल तकनीक से जमीन धंसने का खतरा होगा कम, एसईसीएल और टीएमसी में हुआ समझौता

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(अमर उजाला)

पर्यावरण संरक्षण को लेकर एसईसीएल और टीएमसी मिनरल्स रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक समझौता हुआ है। यह समझौता पेस्ट फिल तकनीक को लेकर हुआ है। इस तकनीक का प्रयोग कोयला निकालने के बाद खदानों को भरने के लिए किया जाएगा जिससे जमीन धंसने का खतरा कम होगा। इस तकनीक में औद्योगिक अपशिष्टों का प्रयोग होगा।

कोरबा में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) ने पेस्ट फिल तकनीक का उपयोग करके कोयला खनन में एक नया कदम उठाया है। एसईसीएल और टीएमसी मिनरल्स रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड के बीच ₹7040 करोड़ की परियोजना के लिए समझौता हुआ है।

क्या है पेस्ट फिल तकनीक?

पेस्ट फिल तकनीक एक नवीन भूमिगत खनन तकनीक है जिसमें खदान से कोयला निकालने के बाद खाली जगह को विशेष पेस्ट से भरा जाता है। यह पेस्ट फ्लाई ऐश, ओपन कास्ट खदानों से प्राप्त क्रश्ड ओवरबर्डन, सीमेंट, पानी और आसंजक रसायनों से तैयार किया जाता है। इससे खनन के बाद जमीन के धंसने का खतरा नहीं रहता। इसके अलावा इस तकनीक में औद्योगिक अपशिष्टों का फिर उपयोग किया जाता है, जिससे यह पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी लाभकारी है।

सिंघाली खदान में उपयोग एसईसीएल कोरबा क्षेत्र अंतर्गत सिंघाली भूमिगत कोयला खदान में पेस्ट फिलिंग तकनीक द्वारा बड़े पैमाने पर कोयला उत्पादन किया जाएगा। 25 सालों की अवधि में इस परियोजना के माध्यम से अनुमानित 84.5 लाख टन (8.4 मिलियन टन) कोयला उत्पादन किया जाएगा।

एसईसीएल का हरित खनन की ओर कदम 

एसईसीएल का उद्देश्य हरित खनन तकनीकों को बढ़ावा देना है। यह परियोजना ना केवल उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगी बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक होगी। कोयल खदान के बाद जमीन धंसने का खतरा भी इस तकनीक से कम होगा।

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