(D.J)
मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने सहित चुनाव सुधारों से जुड़ा चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 सोमवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा से ध्वनिमत पारित हो गया। विधेयक पेश करते हुए सरकार ने विपक्ष की आशंकाओं को शांत करने की कोशिश की और बताया कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की व्यवस्था अनिवार्य नहीं, बल्कि स्वैच्छिक रहेगी। साथ ही इससे चुनावों में और पारदर्शिता आएगी, फर्जी मतदान करने और गलत तरीके से मतदाता बनने का रास्ता भी बंद होगा।
हालांकि इसके बाद भी विपक्ष अपने रुख पर अड़ा रहा और सरकार के इस कदम को कानून विरुद्ध बताया। सरकार की सक्रियता से साफ है कि अब यह विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जा सकता है।
चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के साथ जो अन्य प्रमुख कदम उठाए गए हैं उनमें अब किसी भी नए मतदाता को 18 साल की उम्र पूरी करने के बाद मतदाता पहचान पत्र बनवाने के लिए साल पूरा होने का इंतजार नहीं करना होगा।
इस विधेयक के मुताबिक अब उन्हें साल में चार बार मतदाता पहचान पत्र बनवाने के मौके मिलेंगे। अभी तक उन्हें साल में सिर्फ एक मौका मिलता था क्योंकि उनकी उम्र की गणना एक जनवरी से की जाती थी।
युवाओं को होगा लाभ
यानी कोई 18 साल की उम्र पूरी भी कर लेता था तो उसको अगले साल एक जनवरी तक का इंतजार करना होता था। विधेयक के जरिये अब उनकी उम्र की गणना जनवरी के साथ एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर से भी होगी। लिहाजा जैसे ही वह 18 साल की उम्र पूरी करेंगे, उन्हें तुरंत ही मतदाता बनने का अधिकार मिल जाएगा।