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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए आधार अनिवार्य बनाने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना पर मंगलवार को कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया। जस्टिस एम खानविलकर और जस्टिस नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि आधार के अभाव में सरकार द्वारा याचिकाकर्ताओं को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभों से वंचित किए जाने की महज आशंका के आधार पर इस चरण में कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जा सकता है। पीठ ने शीर्ष अदालत के 9 जून के फैसले का हवाला दिया जिसमें उसने पैन कार्ड और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार अनिवार्य करने संबंधी आयकर कानून के प्रावधान की वैधता बरकरार रखी थी, लेकिन उसने निजता के अधिकार संबंधी मुद्दे पर संविधान पीठ द्वारा विचार किए जाने तक इसके अमल पर आंशिक रोक लगा दी थी।
पीठ ने कहा, ‘इस मामले के 9 जून के फैसले के पैरा 90 की टिप्पणियों के मद्देनजर इसमें और किसी टिप्पणी की आवश्यकता नहीं है।’ सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को सूचित किया कि केंद्र ने जिन लोगों के पास आधार नहीं है परंतु वे सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं, उनके लिए समय सीमा 30 जून से बढ़ाकर 30 सितंबर कर दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान का कहना था कि न्यायालय की ओर से केंद्र को निर्देश दिया जाए कि आधार के बगैर ही सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ प्राप्त कर रहे लोगों को इससे वंचित न किया जाए।