(D.J)
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव एक हो गए। अखिलेश यादव ने गुरुवार को अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के घर पहुंचकर पहले तो गिले-शिकवे दूर किए फिर दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर सहमति जता दी। अखिलेश और शिवपाल ने इस मुलाकात के बाद ट्वीट कर गठबंधन का ऐलान भी कर दिया।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ हुई मुलाकात की फोटो ट्वीट करते लिखा… ‘प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाकात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा व अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है। अखिलेश के बाद शिवपाल ने भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा ‘…आज समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जी ने आवास पर शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उनके साथ आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में साथ मिलकर लड़ने की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई।
इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव गुरुवार को करीब साढ़े तीन बजे चाचा शिवपाल सिंह यादव से मिलने उनके घर पहुंचे। अखिलेश ने शिवपाल के पैर छुए तो भावुक शिवपाल ने उन्हें गले लगा लिया। इस मुलाकात के दौरान शिवपाल परिवार के साथ मौजूद थे। दोनों के बीच यह मुलाकात करीब 45 मिनट तक चली। इस दौरान दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन की बात फाइनल हो गई। पिछले कई महीनों से चाचा शिवपाल और उनके भतीजे अखिलेश यादव के मन में एक दूसरे के प्रति नरमी और श्रद्धा भाव देखा जा रहा था। ऐसे में पहले से यह कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले चाचा और भतीजे फिर से एक हो सकते हैं।
इस मुलाकात के दौरान शिवपाल सिंह यादव के घर के बाहर दोनों नेताओं के समर्थकों की भीड़ भी जमा हो गई और दोनों की एकता के नारे लगने लगे। शिवपाल यादव इससे पहले मीडिया में कई बार यह बयान देते रहे हैं कि अखिलेश को जो फैसला करना है वह जल्दी करें। वहीं, दूसरी तरफ अखिलेश यादव यह कहते रहे थे कि समय आने पर मुलाकात और बातचीत हो जाएगी। आखिरकार वह गुरुवार को अपने चाचा शिवपाल के पास पहुंच गए।
दरअसल, मुलायम सिंह यादव का कुनबा वर्ष 2017 के चुनाव के बाद दो टुकड़ों में बंट गया था। उस चुनाव से पहले अखिलेश व शिवपाल के बीच मनमुटाव हो गया था। जिसके बाद दोनों में दूरियां बढ़ती चली गईं। इसकी शुरुआत वर्ष 2016 में ही हो गई थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री थे उसी दौरान ही चाचा और भतीजे की राह अलग हो गई थी। परिवार की लड़ाई इस कदर बढ़ी कि अखिलेश ने चाचा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। फिर चाचा ने भतीजे को ही पार्टी से ही बाहर कर दिया।
शिवपाल यादव ने अक्टूबर 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई थी। शिवपाल ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में 47 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इस कारण सपा को कई सीटों पर नुकसान भी उठाना पड़ा था। इस लड़ाई में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनाव हार गए थे। हालांकि लोकसभा चुनाव में शिवपाल की पार्टी को महज 0.3 फीसद ही वोट ही मिले, लेकिन ज्यादातर जगहों पर उसने सपा को नुकसान पहुंचाया था। पिछले अनुभव को देखते हुए अखिलेश ने चाचा के साथ गठबंधन का निर्णय लिया है।